आपको अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना जरूरी है: आखिर क्या हैं आपके उपभोक्ता अधिकार
एयरबैग नहीं खुलने पर टोयोटा पर बड़ी कार्रवाई
उपभोक्ता आयोग ने 61.36 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश
सड़क सुरक्षा, वाहन निर्माताओं की जिम्मेदारी और उपभोक्ता अधिकारों से जुड़ा एक अहम फैसला छत्तीसगढ़ से सामने आया है। छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग ने एक सड़क दुर्घटना के दौरान टोयोटा इनोवा कार के एयरबैग सक्रिय न होने को गंभीर तकनीकी खामी मानते हुए टोयोटा किर्लोस्कर मोटर कंपनी को पीड़ित उपभोक्ता को कुल 61.36 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग का यह फैसला न सिर्फ वाहन कंपनियों के लिए चेतावनी माना जा रहा है, बल्कि उपभोक्ताओं के अधिकारों को मजबूती देने वाला भी बताया जा रहा है।
कोरबा हादसे से जुड़ा है पूरा मामला
यह मामला छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में अप्रैल 2023 में हुए एक भीषण सड़क हादसे से संबंधित है। जानकारी के अनुसार टोयोटा इनोवा कार एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गई थी। टक्कर इतनी तेज थी कि वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया और सड़क किनारे पेड़ से जा टकराया। हादसे में कार सवार व्यक्ति को गंभीर चोटें आईं, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इतने बड़े टकराव के बावजूद कार के किसी भी एयरबैग ने काम नहीं किया।
इलाज में खर्च हुए लाखों रुपये
हादसे में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति का पहले रायपुर और फिर हैदराबाद के अस्पतालों में लंबा इलाज चला। इस दौरान इलाज, सर्जरी और अन्य चिकित्सकीय खर्चों पर लाखों रुपये खर्च हुए। पीड़ित परिवार का कहना था कि यदि समय पर एयरबैग खुल जाते, तो चोटों की गंभीरता काफी हद तक कम हो सकती थी।
उपभोक्ता आयोग ने माना मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट
घटना के बाद पीड़ित परिवार ने टोयोटा कंपनी के खिलाफ छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई। सुनवाई के दौरान आयोग ने वाहन की स्थिति, दुर्घटना की प्रकृति, तकनीकी रिपोर्ट और मेडिकल दस्तावेजों का गहन अध्ययन किया। आयोग ने माना कि गंभीर दुर्घटना के बावजूद एयरबैग का न खुलना स्पष्ट रूप से मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट और सेवा में कमी की ओर इशारा करता है।
महंगी कार का मतलब सुरक्षा भी
आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा कि उपभोक्ता जब महंगी और प्रीमियम कार खरीदता है, तो उसका मुख्य उद्देश्य केवल आराम नहीं, बल्कि सुरक्षा भी होता है। ऐसे में जरूरत के समय सेफ्टी फीचर्स का काम न करना उपभोक्ता के साथ गंभीर अन्याय है। यह कंपनी की जिम्मेदारी बनती है कि वह वाहन में लगे सुरक्षा उपकरणों की गुणवत्ता और कार्यक्षमता सुनिश्चित करे।
30 दिनों में मुआवजा देने के निर्देश
राज्य उपभोक्ता आयोग ने अपने अंतिम आदेश में टोयोटा किर्लोस्कर मोटर कंपनी को निर्देश दिए कि वह 30 दिनों के भीतर पीड़ित उपभोक्ता को नई टोयोटा इनोवा कार या उसकी पूरी कीमत, इलाज पर हुए समस्त खर्च, मानसिक और शारीरिक पीड़ा के लिए मुआवजा तथा कानूनी खर्च का भुगतान करे। कुल मिलाकर यह राशि 61.36 लाख रुपये बैठती है। आयोग का यह फैसला उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
प्रोडक्ट खराब निकले या कंपनी धोखा दे तो कहां करें शिकायत?
जानिए उपभोक्ता के 6 बड़े अधिकार
भारत में उपभोक्ताओं को कानून के तहत कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं। इन्हीं अधिकारों की रक्षा के लिए 24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था। हर साल 24 दिसंबर को नेशनल कंज्यूमर डे मनाया जाता है, ताकि उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके। कानून का साफ मतलब है कि कोई भी व्यक्ति जब सामान या सेवा खरीदता है, तो वह केवल ग्राहक नहीं, बल्कि अधिकारों वाला उपभोक्ता होता है।
1. सुरक्षा का अधिकार
यह उपभोक्ता का सबसे बुनियादी अधिकार है। इसका अर्थ है कि उपभोक्ता को ऐसा सामान या सेवा मिले जो उसकी जान और सेहत के लिए सुरक्षित हो। नकली दवाइयां, एक्सपायरी फूड, घटिया इलेक्ट्रॉनिक सामान, खराब गैस सिलेंडर या बिना टेस्टिंग के कॉस्मेटिक उत्पाद इस अधिकार का उल्लंघन माने जाते हैं। ऐसे मामलों में उपभोक्ता मुआवजे की मांग कर सकता है।
2. जानकारी पाने का अधिकार
उपभोक्ता को किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस से जुड़ी पूरी और सही जानकारी पाने का अधिकार है। इसमें कीमत, टैक्स, वजन, सामग्री, मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट, वारंटी-गारंटी और संभावित जोखिम शामिल हैं। गलत या भ्रामक जानकारी देना कानूनन अपराध है।
3. चुनने का अधिकार
उपभोक्ता को अपनी पसंद का सामान या सेवा चुनने की पूरी आज़ादी है। कोई दुकानदार या कंपनी उपभोक्ता को जबरन किसी खास ब्रांड या अनचाही सर्विस लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती।
4. सुने जाने का अधिकार
अगर उपभोक्ता के साथ गलत हुआ है, तो उसे अपनी शिकायत दर्ज कराने और सुने जाने का अधिकार है। कंपनी या सेवा प्रदाता को शिकायत निवारण की व्यवस्था रखनी होती है।
5. निवारण का अधिकार
उपभोक्ता को केवल शिकायत करने ही नहीं, बल्कि समाधान और मुआवजा पाने का भी अधिकार है। इसमें पैसा वापसी, सामान बदलना, मुफ्त मरम्मत या आर्थिक व मानसिक नुकसान का हर्जाना शामिल हो सकता है।
6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
हर उपभोक्ता को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी पाने का अधिकार है। सरकार, संस्थाएं और मीडिया का दायित्व है कि वे उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाएं।
शिकायत कैसे और कहां दर्ज करें?
अगर किसी उपभोक्ता के साथ घटिया प्रोडक्ट, गलत बिलिंग, धोखाधड़ी या खराब सेवा जैसी समस्या होती है, तो वह सबसे पहले कंपनी या दुकानदार से संपर्क कर सकता है। इसके बाद कस्टमर केयर, ईमेल या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए शिकायत दर्ज की जा सकती है।
इसके अलावा राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन, ई-दाखिल पोर्टल और जिला, राज्य व राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग भी उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने के लिए उपलब्ध हैं। खास बात यह है कि उपभोक्ता अदालत में केस करने के लिए वकील रखना अनिवार्य नहीं है।
यह पूरा मामला इस बात का उदाहरण है कि यदि उपभोक्ता अपने अधिकारों को समझे और सही मंच पर आवाज उठाए, तो बड़ी कंपनियों को भी जवाबदेह बनाया जा सकता है।




Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!