क्या होगी नेपाल की नयी दिशा और दशा
1982 में मुझे बीएचयू से एक शोध के सिलसिले में 4-5 महिने त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू में रहने का मौका मिला था। तब वहां राजशाही थी,राजा वीरेन्द्र थे। लोग उन्हें “श्री महाराजाधिराज” बोलते थे। इस दौर में मैंने विदेश नीति पर राजा वीरेन्द्र का एक साक्षात्कार भी लिया था। वे विनम्र, उदार एवं सनातन में ठोस […]

